आज 14th सितम्बर को हिंदी दिवस बनाया जाता है।
पर यह हमारे इस देश की विडम्बना है की जहां पर हिंदी भाषा से सब के बीच एकता उत्पन्न होनी चाहिए, वहां पर इसी भाषा को ऐसा दिखाया जाता है की जैसे लोगों में बैर पैदा कर रही हो।
कभी कभी लगता है की हम आज भी गुलाम है। पर कभी कभी लगता है की देश के साथ हिंदी का भी एक सुनहरा भविष्य होगा।
आपके क्या विचार है?